Monika garg

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लेखनी कहानी -17-Oct-2022# धारावाहिक लेखन प्रतियोगिता # त्यौहार का साथ# हरियाली तीज

तीज त्यौहार तीन प्रकार का होता है, हरियाली तीज, कजरी तीज और हरितालिका तीज है। 
सावन का महीना महिलाओं के लिए सबसे खास महीना होता है। इस महीने में  महिलाएं पूजा-पाठ करती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन के महीने में बहुत सारे त्योहार आते है। इस महीने में हरियाली तीज का त्योहार भी आता है, जिसको महिलाएं बड़े पर्व के साथ मनाती है। सावन के महीने में चारों तरफ हरियाली दिखायी देती है, इस लिये तीज के त्यौहार को हरितालिका तीज भी कहते हैं। हरितालिका तीज के त्योहार को महिलाएं बड़े उत्साहपूर्वक मनाती हैं। हरितालिका तीज का महिलाओं के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है, इस दिन महिलाओं और कुँवारी लड़कियों के द्वारा की जानी वाली पूजा से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।

मुख्य रूप से तीज का त्योहार अच्छे और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिये कुँवारी लड़कियां उपवास रखती है। और ज्योतिषियों का कहना यह होता है कि जिन लड़कियों का विवाह नहीं हो पता है, उन लड़कियों को तीज के दिन उपवास रखना चाहिए और सच्चे मन से भगवान की पूजा-पाठ करना चाहिए। क्योंकि तीज के दिन पूजा-पाठ का करने का एक अलग ही विशेष महत्व होता है।

हरियाली तीज कथा
प्रचलित कथा कथाओं के अनुसार सती ने हिमालयराज के घर पार्वती के रूप में उनका फिर से पुनर्जन्म हुआ था, तब उन्होंने शिव जी को पति के रूप में पाने के लिये बहुत तपस्या की। लेकिन उसी वक़्त नारद मुनि राजा हिमालय से मिलने के लिये गये और माता पार्वती की शादी करने के लिए भगवान विष्णु से शादी करने का सुझाव दिया। और नारद मुनि के इस सुझाव से हिमालयराज बहुत पसंद हुए और पार्वती जी का विवाह विष्णु जी से करवाने के लिये पूरी तरह से तैयार हो गये।

जब यह बात पार्वती जी को चलती है कि पार्वती जी का विवाह उनके पिताजी हिमालयराज ने भगवान विष्णु से तय कर दिया है। तो इस बात से पार्वती बहुत दुखी होती है और दुख में आकर वह जंगल की ओर चली जाती है। पार्वती वहां पर रेत से शिवलिंग बनाया और शिव जी को पति के रूप मे पाने करने के लिए कई वर्षो तक कठोर तपस्या किया था। पार्वती जी ने तपस्या करते समय अन्न जल सब कुछ  त्याग दिया

उस समय माता पार्वती के सामने कई समस्याये आयीं लेकिन पार्वती जी ने हार नहीं माना और भी कई अन्य प्रकार की चुनौतियों का डांट कर समाना किया। तभी गिरिराज को अचानक पार्वती जी के गुम होने की खबर मिलती है, तो गिरिराज पार्वती जी को खोजने में धरती-पाताल एक कर दिया। लेकिन गिरिराज को पार्वती जी कही नहीं मिली, उस वक़्त माता पार्वती जंगल में एक गुफा के अंदर बैठ कर सच्चे मन से शिव जी को पाने की आराधना कर रही थी।

माता पार्वती जी की तपस्या करने से शिवजी का ह्रदय प्रभावित हुआ और शिवजी श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया  दिन को माता पार्वती जी के समाने प्रकट हुये और शिवजी ने उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया और माता पार्वती जी को इच्छा पूर्ति का वरदान दिया। इसके बाद पार्वती जी के पिता जब उनको ढूंढते हुए जंगल की तरह पहुंचे तो पार्वती जी ने अपने पिताजी के साथ जाने से मना कर दी और पार्वती जी ने अपने पिताजी के समाने एक शर्त रखी कि में आपके साथ तब जाऊंगी जब आप मेरा विवाह शिवजी के साथ करेंगे, तभी उनके पिताजी हार मानकर पार्वती जी सारी शर्ते मानकर पार्वती जी को घर वापस ले गये ,कुछ समय बाद उनके पिताजी जी पूरे रिति-रिवाज के साथ शिवजी और पार्वती जी का विवाह कराया।

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को शिवजी और माता पार्वती के मिलन का दिन माना जाता है। शिव जी ने इस दिन पार्वती के सच्चे मन से की हुयी तपस्या से खुश होकर कहा था कि इस दिन पार्वती जी ने मुझे पाने के लिये सच्चे मन से आराधना करके उपवास किया था, उसी के परिणाम से हम दोनों का विवाह सम्पन्न हुआ था। आज के बाद जो भी कुंवरी लड़कियां इस उपवास को सच्चे मन से पूजा-पाठ करेगी ,उसे मैं उस कन्या के इच्छा अनुसार उसे वर प्राप्ति का वरदान दूंगा, चाहे स्त्री हो या कुंवरी लड़कियां, उनको पार्वती जी की तरह अचल सुहाग प्राप्ति होंगी। इसलिए तीज के दिन सुहागन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिये तीज का दिन बहुत ही सौभग्य का दिन होता है।

शिव जी और पार्वती जी के पुर्नमिलान के रूप मे इस दिन को यादगार के रूप मे मनाया जाता है। तीज के त्योहार लेकर यह मान्यता है कि माता पार्वती जी ने  शिव जी को पति के रूप मे प्राप्ति करने के लिये पार्वती जी ने 107 बार जन्म धरती मे लिया था। अंतः माता पार्वती के कठोर तपस्या करने और ज़ब माता पार्वती 108वें जन्म लिया तब भगवान शिव जी ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।

तभी से शिव और पार्वती जी के मिलन के इस मान्यता पर तीज का व्रत रखने वाली महिलाओ को माता पार्वती जी खुश होकर उपवास रखने वाली महिलाओं के पतियों को लम्बी आयु का आशीर्वाद देती है। सावन माह में चारों ओर हरियाली फैली होने के कारण इस तीज को हरियाली तीज या तीज त्यौहार के नाम  जाना जाता है।

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2 Comments

Palak chopra

15-Nov-2022 12:45 PM

Behtreen 🙏

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Rafael Swann

14-Nov-2022 11:43 PM

Shandar 🌸

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